कोरोना का कमबैक, पर जिम्मेदारी अभी भी आउट ऑफ स्टॉक!

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

देश में एक बार फिर कोविड-19 की दस्तक ने सतर्क कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 12 जून को जारी आंकड़ों के मुताबिक, सक्रिय मामलों की संख्या 7,154 हो चुकी है। आज 6 मौतें दर्ज हुईं, जिसमें केरल से 3, कर्नाटक से 2, और महाराष्ट्र से 1 शामिल हैं।

सुप्रीम राहत से लेकर सिपाही की दरिंदगी तक, ये रहीं बड़ी खबरें!

ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट बना रहे हैं चुनौती

विशेषज्ञों की मानें तो इस उछाल के पीछे ओमिक्रॉन के नए सब-वैरिएंट्सJN.1, NB.1.8.1, LF.7 और XFC – का हाथ है। हालांकि इनके लक्षण हल्के हैं, लेकिन इनकी संक्रमण दर अधिक है। WHO ने इन्हें “निगरानी में रखे गए वैरिएंट” (Variants under Monitoring) के रूप में चिह्नित किया है।

सबसे ज्यादा केस कहां?

  • केरल में सबसे ज्यादा 2,223 सक्रिय केस

  • गुजरात में 1,223

  • पश्चिम बंगाल में 747

  • दिल्ली और महाराष्ट्र में भी मामूली वृद्धि दर्ज

जनता फिर भूल गई मास्क और दूरी?

कोविड के दो साल तक घर में कैद रहने वाले लोग अब मास्क, दूरी और टेस्टिंग को मजाक समझने लगे हैं। शादी, सिनेमा, ऑफिस—हर जगह कोविड को भुला दिया गया है। “अब तो सब ठीक है” की सोच फिर से मुसीबत का कारण बनती दिख रही है।

रिकवरी बनी उम्मीद की किरण

सकारात्मक पक्ष यह है कि इस साल अब तक 9,556 मरीज ठीक हो चुके हैं। रिकवरी रेट अच्छा बना हुआ है, लेकिन जानकारों का कहना है कि लहरों के बीच लापरवाही डूबा सकती है

मौतें क्यों हो रही हैं?

जिन मरीजों की मौत हुई है, उनमें से अधिकतर को पहले से हृदय, फेफड़े, किडनी या डायबिटीज जैसी बीमारियाँ थीं। डॉक्टरों का कहना है कि सह-रुग्णता वाले व्यक्तियों को अब भी बेहद सतर्क रहना चाहिए।

सवाल

 क्या सरकार की चेतावनियाँ अब जनता के कानों तक पहुँच ही नहीं रहीं?
 क्या कोरोना अब भी एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है?
 क्या महामारी से मिली सीख सिर्फ किताबों में रह गई?

“कोविड गया नहीं, हमने मान लिया कि गया” — यही सोच आज फिर संकट को दावत दे रही है। ओमिक्रॉन के नए रूप भले ही हल्के दिखें, लेकिन यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि खतरा खत्म हो गया है। मास्क, सावधानी, समय पर टेस्टिंग और वैक्सीनेशन ही अब भी एकमात्र रास्ता हैं।

सुझाव

  • सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें

  • बुजुर्ग और बीमार लोगों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए

  • भीड़भाड़ से बचें, समय-समय पर जांच कराएं

  • राज्य सरकारों को सीरियसली निगरानी करनी चाहिए

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